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प्रतापनगर : मासूमों की जान दाव पर लगाते स्कूल को एक महीने का अल्टीमेटम, शक के घेरे में पुर्व अधिकारी की कार्यशैली

प्रतापनगर : मासूमों की जान दाव पर लगाते स्कूल को एक महीने का अल्टीमेटम, शक के घेरे में पुर्व अधिकारी की कार्यशैली
प्रतापनगर : ज्ञात हो कि कुछ वर्ष पुर्व टिहरी जिले के प्रतापनगर ब्लॉक के कंगसाली गाँव में स्कूली बच्चों को लेजा रही जीप के दुर्घटनाग्रस्त होने से 10 मासूमों की मौत हो गई थी जिसके बाद शिक्षा विभाग की लापरवाही सामने आई थी लेकिन लगता है अभी भी इन कुर्सीतोड अधिकारियों का जी नहीं भरा और फिर मासूमों की जिंदगियां दाव पर लगाई जा रही हैं 
ऐसा ही एक उदाहरण फिर सामने आया है मिल रही जानकारी के अनुसार प्रतापनगर के अंतर्गत आते रमोला गाँव में विगत कई वर्षों से तमाम नियमों को ताक में रखकर स्थानीय अधिकारियों की छत्रछाया में वरुण वैली नाम से एक निजी विद्यालय का संचालन हो रहा है, 
लेकिन हाल ही में आई ईमानदार उप खंड शिक्षा अधिकारी पूनम चौहान ने जब इस स्कूल का निरिक्षण किया तो बदहाली देख उनके होश उड गये, जिसके बाद बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए उन्होंने उक्त स्कूल को एक महीने का अल्टीमेटम देकर जवाब मांगा है 
यह कमियाँ मिली मौके पर 
1. विभागीय अभिलेखों में विद्यालय कक्षा 5 तक रजिस्टर है जबकि संचालक द्वारा कक्षा 8 तक की कक्षाएं संचालित की जा रही हैं, 
2. विद्यालय की 5 वी कक्षा तक की मान्यता की पत्रावली भी कार्यालय में जमा नहीं कराई गई जिससे मान्यता पर भी संदेह है
3. विद्यालय में पढ़ा रहे शिक्षक भी योग्यता प्राप्त नहीं है
4. विद्यालय में बिजली भी नहीं है अंधेरे में जानवरों की तरह बच्चों को पढाया जा रहा है जिससे बच्चों कभी भी बिमारी का शिकार हो सकते हैं
5. विद्यालय में बच्चों की लिए फर्नीचर तक उपलब्ध नहीं है
6. विद्यालय में कक्षा कक्ष तक कोठरी जैसे हैं जहाँ बच्चों को ठूस ठूस कर बैठाया जा रहा है 
7. खेल का मैदान नहीं है
8. और सबसे खतरनाक चीज जो उप खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी नोटिस में सामने आई है कि विद्यालय का संचालन जर्जर भवन में किया जा रहा है जो कि मौजूदा तेज बारिश में कभी भी गिर सकता है.. 

आरटीआई के जवाब में पुर्व खंड शिक्षा अधिकारी ने बताया था कि विद्यालय मानकों के अनुसार चल रहा है
अब यहाँ सबसे गजब बात यह है कि कुछ समय पुर्व जब इसी विद्यालय वरुण वैली के संबंध में आरटीआई डालकर पुछा गया था तो पुर्व खंड शिक्षा अधिकारी श्री विनोद सिंह मटूडा ने जवाब दिया था कि यह विद्यालय शिक्षा विभाग के तमाम मानकों को पुरा करता है जिसके आधार पर इसे कक्षा 5 तक मान्यता दी गई है साथ में मटुडा द्वारा जांच आख्या की छायालिपी भी उपलब्ध कराई गई थी जो आप देख सकते हैं.. 
अब इससे यह तो स्पष्ट हो ही जाता है कि आखिर इतनी दयनीय स्थिति होने के बाद भी पुर्व खंड शिक्षा अधिकारी विनोद सिंह मूटूडा को क्यूँ यह कमियाँ नजर नहीं आई और कई मासूमों की जान दाव पर लगाकर उक्त विद्यालय  को मान्यता दे दी गई और उक्त अधिकारी की छत्रछाया में तमाम नियमों को ताक में रख  5 वीं तक का विद्यालय सालों से 8 वीं तक की कक्षाएं संचालित  कर रहा है
जानकारी के लिए बता दें कि पुर्व खंड शिक्षा अधिकारी के कार्यकाल में कई बार अन्य विद्यालयों पर अधिकारी की सख्ती और उक्त विद्यालय संचालक पर विशेष क्रपा काफी चर्चा का विषय रही है
जबकि एक इमानदार अधिकारी ने आते ही यह बड़ा झोल सामने आ गया 
ज्ञात हो कि मौजूदा उप खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा दी गई तय समय सीमा समाप्त होने वाली है अब देखना यह होगा कि अब इन हालात में उक्त विद्यालय पर क्या बड़ी कार्रवाई होती है, 
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि चंद सिक्कों के लालच में छोटे छोटे मासूम बच्चों की जान दाव पर लगाता यह विद्यालय जिन अधिकारियों की मिली भगत से अब तक संचालित होता रहा है क्या उन पर कोई कार्रवाई होगी..? 
या इसी तरह यह आगे जाकर मासूमों की मौत का सामान तैयार करते रहेंगे, और फिर मासूमों की बलि चढती रहेगी, 

फिलहाल मौजूदा उप शिक्षा अधिकारी से संपर्क नहीं हो पाया संपर्क होने पर आपको जरूर अवगत कराएंगे कि क्या कारवाई इस विद्यालय पर होगी 

मामले पर पुर्व खंड शिक्षा अधिकारी का बेतुका ब्यान
जब मामले पर पुर्व खंड शिक्षा अधिकारी विनोद सिंह मटूडा से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने संतोषजनक जवाब देने की बजाए यह कहकर फोन काट दिया कि " मैं क्या जानू अब मैं वहाँ अधिकारी थोड़ी हूँ जो अधिकारी हैं वो देखेगा "

यह है कुर्सी तोडों के हाल.. 
जबकि सुनने में यह आया है कि इलाके के सीआरसी तथा पुर्व खंड शिक्षा अधिकारी की सरपरस्ती में ही उक्त संचालक के हौसले बुलंद हुए यही नहीं सुत्र बताते हैं कि बिना किसी इजाजत तथा मानकों के विपरीत बच्चों को गाड़ी में ढोने का काम भी उक्त संचालक द्वारा किया जा रहा है.. 
यह हाल है सरकारी तंत्र का चलो इंतजार करते हैं फिर  किसी बडे़ हादसे का..
प्रदीप भारतीय🇮🇳👳

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