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चमोली आपदा : अब तक निकाले जा चुके 70 से ज्यादा शव, 1 महीने बाद पटरी पर लौट रही जिंदगी

चमोली आपदा :  अब तक निकाले जा चुके 70 से ज्यादा शव, 1 महीने बाद पटरी पर लौट रही जिंदगी
चमोली : तपोवन जल प्रलय को आज पूरा एक महीना हो गया. डर, दुख, यादों और आंसुओं से भरा ये एक महीना ऐसे बीत गया जैसे कल ही बात हो. दुनिया के लिए शायद कुछ न बदला हो, लेकिन यहां के रहवासियों के लिए दुनिया ही बदल गई. 7 फरवरी को ग्लेशियर टूटने से अचानक नदी में आई तबाही में कई ज़िंदगियां खत्म हो गई थीं. नदी में आए सैलाब ने दो बिजली परियोजनाओं को भी तबाह कर दिया. इस तबाही में 204 लोग लापता हो गए थे. रेस्क्यू टीम्स ने 70 से ज्यादा शव बरामद कर लिए हैं, वहीं जो लोग अब भी लापता हैं उनको मृत मान लिया गया है, ताकि उनके परिवार भी मदद के हकदार बन पाए.

घटना के बाद ऋषि गंगा की जल प्रलय में रैणी गांव के पास मलारी हाईवे पर 90 मीटर लंबा मोटर पुल बह गया था, जिसकी वजह से 13 गांव अलग-थलग पड़ गए थे. वहां अब वैली ब्रिज का निर्माण कर आवाजाही शुरू करवाई गई है. बहरहाल आपदा से जूझ रहे इलाके में अब धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है.

NTPC का पावर प्रोजेक्ट हुआ था तबाह
त्रासदी के एक दिन बाद 8 फरवरी को सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हादसे को लेकर जानकारी दी थी. सीएम ने कहा कि पूरी रात रेस्क्यू चलता रहा. तपोवन गांव के पास एनटीपीसी परियोजना का काम चल रहा था. हमें पता चला है कि वहां तपवोन में एक कंपनी थी, जहां 24-25 लोग थे, जो काम कर रहे थे. हादसे के बाद लापता लोगों का आंकड़ा 203 के पार पहुंच गया है. इनमें से 11 का शव बरामद कर लिया गया है. राहत कार्य जारी है.

जिंदा बच गए लोगों ने सुनाई कहानी
तपोवन में एनटीपीसी (NTPC) के हाइड्रो पावर प्लांट में काम चल रहा था. जिस वक्‍त ग्‍लेशियर फटने के बाद सैलाब आया, उस वक्‍त टनल की दूसरी तरफ 40 मजदूर काम कर रहे थे. उन्‍हें फोन पर अचानक से फ्लैश फ्लड की जानकारी दी गई. इसके बाद सभी मजदूर आनन-फानन में ऊंचाई की तरफ दौड़ने लगे और जब तक सैलाब उन तक पहुंचता वो काफी दूर जा चुके थे. कामगारों ने प्राकृतिक आपदा से किसी तरह अपनी बचाने में कामयाब रहे. हालांकि, उनके कपड़े, पैसे और आधार कार्ड सैलाब की भेंट चढ़ गए.

सब कुछ बहा ले गया पानी
मजदूरों ने कहा कि भयंकर सैलाब उनका सब कुछ बहा ले गया. उस भयानक मंजर के बारे में बताते हुए भी वे डर से कांप उठते हैं. ये मजदूर बताते हैं कि भगवान ने ही बचाया है. इन मजदूरों का कहना है कि अगर रविवार का दिन नहीं होता और प्लांट में मजदूरों की छुट्टी नहीं होती तो टनल में सबसे ज्यादा मजदूर काम कर रहे होते. इन मजदूरों का कहना है कि अब उन्‍हें रोटी कहां से मिलेगी और उनका तन ढकने के लिए कपड़ा कौन देगा.

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