किसान आंदोलन : आने वाले दिनों में सरकार की जड़ें हिला सकता ये ''किसान आंदोलन''
कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के आने वाले दिनों में और तेज होने के आसार बन रहे हैं। बेशक किसानों व केंद्र सरकार के दरमियान बातचीत अब दोबारा शुरू हो चुकी है लेकिन कृषि कानूनों को रद्द करने की किसानों की मांग पर अभी कोई चर्चा नहीं हो रही। अगली बैठक 4 जनवरी को रखी गई है जिससे किसानों को उम्मीदें हैं। लेकिन अगर उक्त बैठक में कोई सार्थक परिणाम नहीं निकलता तो किसान संघर्ष की अगली रणनीति तैयार कर सकते हैं। आने वाले दिनों में आंदोलन को और तेज करने के लिए नया कार्यक्रम दिया जा सकता है।
मिली जानकारी के अनुसार संयुक्त किसान मोर्चे की ओर से फिलहाल ट्रैक्टर मार्च को स्थगित कर दिया व उसकी अगली तारीख का ऐलान भी चर्चा के बाद किया जाएगा। उधर, जैसे जैसे आंदोलन आगे बढ़ रहा है वैसे वैसे लोगों का समर्थन भी बढऩे लगा है। पंजाब व हरियाणा से तो आम लोग भी आंदोलन में बढ़-चढ़कर शिरकत करने लगे हैं व आए दिन लोग अपने निजी वाहनों पर सवार होकर दिल्ली बार्डरों पर पहुंच रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि वह कृषि कानूनों को रद्द करवाने के बाद ही मोर्चा समाप्त करेंगे जबकि सरकार संशोधनों पर जोर दे रही है। ऐसे में उक्त आंदोलन के और लंबे समय तक चलने के भी आसार बने हुए हैं।
भुच्चो मंडी नजदीक कॉरपोरेट कंपनियों के स्टोर व टोल प्लाजा पर लगाया मोर्चा चौथे महीने में प्रवेश हो गया है। धरने में लोगों की गिनती लगातार बढ़ रही है। भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा के किसान नेता सिमरजीत सिंह, बलतेज सिंह, मनजीत कौर ने संबोधन करते कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार किसान विरोधी कानूनों को रद करने की बजाए धरनों पर बैठे किसानों के सबर को परख रही है।
किसान नेता ने कहा काले कानून खेती सैक्टर को तबाह करने वाले है। जिनको रद्द करवाने के लिए कड़ाके की ठंड के बावजूद किसान मोर्चे पर डटे हुए है। उन्होंने चेतावनी देते कहा कि काले कानून रद्द करवाकर ही दम लेंगे। वहीं दिल्ली में किसान मोर्चा शुरू हो जाने पर जिले मे दिए जा रहे धरने की कमान महिलाओं ने संभाली हुई है। इन महिलाओं के साथ-साथ बच्चे भी मोर्चे में शामिल हैं मोर्चे पर ही वह अपनी पढ़ाई भी जारी रख रहे हंै। धरने दौरान छोटे बच्चे भी जत्थेबंदी के नेताओं में रोष भर रहे है।
केंद्र सरकार की जड़ें हिला देगा किसान आंदोलन
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए कृषि कानूनों को रद्द करवाने को ले कर किसान संगठनों द्वारा मानसा में चल रहे धरने के 92 दिन किसान सभा के का. कृष्ण चौहान, क्रांतिकारी किसान यूनियन के भजन सिंह, ट्रेड नेता का. कुलविंद्र सिंह , लिबरेशन केंद्रीय नेता का. राजविंदर सिंह राना, का. गुरजंट सिंह मानसा, स्त्री नेता का. नरिंदर कौर बुर्ज हमीरा, डकौंदा के मक्खन उड़्ड़त, जम्हूरी किसान सभा के मेजर सिंह दूलोवाल, दर्शन पंधेर, ब्लाक अध्यक्ष बलविंदर सिंह खियाला, का. सुखचरन सिंह दानेवालिया और रत्न भोला आदि नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार कॉरपोरेट घरानों की झोली भरने के लिए किसान संघर्ष को फेल करने के लिए प्रतिदिन नए हत्थकंडे अपनाने लगी हुई है। जिसे लेकर दिन प्रतिदिन किसानों के मन में फैली रोष लहर तेज रफ्तार पकड़ रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को दुनिया भर से समर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार ने किसानों की मांगें न स्वीकार की तो किसान आंदोलन केंद्र सरकार की जड़ें हिला देगा। उन्होंने कहा कि केंद्र किसानों के सब्र को परखने की बजाए तुरंत कृषि विरोधी काले कानूनों को रद्द करे।
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