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पहाड़ में आज भी जर्जर स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं : 11 किमी पैदल चलकर गर्भवती को अस्‍पताल पहुंचाया; नवजात की मौत

 पहाड़ में आज भी जर्जर स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं : 11 किमी पैदल चलकर गर्भवती को अस्‍पताल पहुंचाया; नवजात की मौत
 बागेश्वर: सरकार स्वास्थ्य शिक्षा तथा पुरानी सड़कें तोड़कर बड़े बड़े हाईवे, सड़कें बनाने के लाख दावे करे, लेकिन जमीन हकीकत आज भी वैसी की वैसी है। इसका नतीजा यह हुआ कि समय पर इलाज नहीं मिलने से सोराग गांव की एक प्रसूता के गर्भ में पल रहे एक शिशु की मौत हो गई, हालांकि ग्रामीण 11 किमी पैदल चलकर उसे अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक सब चीज हाथ से निकल गई, हांलाकि डॉक्टर प्रसूता को बचाने में सफल रहे।सोराग गांव निवासी प्रवीण सिंह की 25 वर्षीय पत्नी रेखा देवी को शुक्रवार को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजन ने ग्रामीणों से संपर्क किया। लकड़ी का स्ट्रेचर बनाया गया। जिसमें बांधकर प्रसूता को पिंडर नदी में बने कच्चे पुल से होकर मुख्य मार्ग तक पहुंचाया गया। ग्रामीण केशर सिंह ने बताया कि ग्रामीणों ने वाहनों की आवाजाही के लिए पिंडर नदी में अस्थायी लकड़ी का पुल बनाया था।
प्रसूता को 11 किमी पैदल चलकर उन्हें मुख्य मार्ग तक पहुंचे
नदी में वह बह गया। जिस पर वाहनों का चलना बंद हो गया है। जिसके कारण प्रसूता को 11 किमी पैदल चलकर उन्हें मुख्य मार्ग तक पहुंचे। यहां से 108 के माध्मय से सीएचसी कपकोट भर्ती किया। मामला गंभीर देखते हुए उन्होंने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। जब वह जिला अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने बताया कि शिशु की गर्भ में मौत हो चुकी है। उन्होंने शिशु को गर्भ से बाहर निकाला और प्रसूता को बचाने में सफल रहे।
डॉ के अनुसार पेट में बच्चा मरा था। जच्चा अब ठीक है। गांव वालों ने दुखी हृदय से बताया चार वर्ष से पिंडर नदी में पुल नहीं बन सका है। गांव में अस्पताल भी नहीं है। जिसके कारण ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। उन्होंने कहा कि वर्षा का सिलसिला शुरू हो गया है। हिमालयी गांवों की दिक्कतें बढ़ने लगी हैं।

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