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CBI ने कैंट बोर्ड के कार्यालय अधीक्षक और लिपिक को क‍िया गिरफ्तार, दाखिल-खारिज के मांगे थे 50 हजार

CBI ने कैंट बोर्ड के कार्यालय अधीक्षक और लिपिक को क‍िया गिरफ्तार, दाखिल-खारिज के मांगे थे 50 हजार 
 देहरादून: सीबीआइ ने देहरादून कैंट बोर्ड के कार्यालय अधीक्षक और लिपिक (कर) को 25 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। आरोपितों ने जमीन का दाखिल-खारिज करने के एवज में रिश्वत मांगी थी। पीड़ित ने इसकी शिकायत सीबीआइ से कर दी थी, जिसके बाद सीबीआइ ने दोनों को ट्रैप किया। दोनों को स्पेशल मजिस्ट्रेट सीबीआइ के समक्ष पेश करने के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। आरोपित कार्यालय अधीक्षक तीन माह बाद सेवानिवृत्त होने वाला है।

1998 में आइएमए गेट नंबर सात के निकट खरीदी थी जमीन
प्रेमनगर के स्मिथनगर में रहने वाले वेद गुप्ता ने बीते बुधवार को सीबीआइ से शिकायत की थी। इसमें उन्होंने बताया कि वर्ष 1998 में एक व्यक्ति से आइएमए गेट नंबर सात के निकट जमीन खरीदी थी, जो देहरादून कैंट क्षेत्र में आती है। लगातार प्रयास करने के बावजूद कैंट बोर्ड के रिकार्ड में जमीन उनके और उनकी पत्नी के नाम पर दर्ज नहीं हो पाई। इस पर वेद गुप्ता ने 30 दिसंबर 2019 को कैंट बोर्ड के सीईओ के नाम एक पत्र लिखा।

समाधान की तलाश में काटते रहे कैंट बोर्ड के चक्‍कर
इसके बावजूद प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि, वह समाधान की तलाश में कैंट बोर्ड के चक्कर काटते रहे। इसी कड़ी में वह बीती 12 सितंबर को भी कैंट बोर्ड में कार्यालय अधीक्षक शैलेंद्र शर्मा से मुलाकात करने गए थे। उस दिन शैलेंद्र ने इस काम के बदले 50 हजार रुपये रिश्वत की मांग करते हुए जमीन के म्यूटेशन का आश्वासन दिया। इसके लिए उन्हें दो दिन बाद कार्यालय आने को कहा गया।

25 हजार रुपये में  हो गया सौदा
वेद 14 सितंबर को फिर से कार्यालय पहुंचे तो शैलेंद्र ने उन्हें लिपिक (कर) रमन अग्रवाल के पास भेज दिया। रमन ने बताया कि फाइल में जमीन विक्रेता का मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं लगा है। इस पर वेद फिर शैलेंद्र से जाकर मिले तो उसने 50 हजार रुपये देने पर सारा काम हो जाने की बात कही। वेद ने इतनी बड़ी धनराशि देने में असमर्थता जताई। जिसके बाद 25 हजार रुपये में सौदा तय हो गया।

रिश्वत मांगे जाने का आडियो भी क‍िया रिकार्ड
इसके बाद रमन ने वेद को अपना मोबाइल नंबर दिया और गुरुवार को 25 हजार रुपये लेकर कार्यालय आने को कहा। कैंट बोर्ड कार्यालय से निकलने के बाद वेद गुप्ता ने इसकी शिकायत सीबीआइ से कर दी। वेद ने आरोपितों की ओर से रिश्वत मांगे जाने का आडियो भी रिकार्ड कर लिया था, जो उन्होंने सीबीआइ को उपलब्ध कराया। इस पर सीबीआइ ने ट्रैप तैयार किया और गुरुवार को जब वेद रुपये लेकर कैंट बोर्ड के कार्यालय पहुंचे तो सीबीआइ की टीम भी वहां तैनात हो गई। योजना के मुताबिक दिन में करीब 11 बजे जैसे ही वेद ने रमन को रुपये दिए, सीबीआइ की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद शैलेंद्र को भी कार्यालय में ही दबोच लिया गया।

सीबीआइ की कार्रवाई से हड़कंप
गुरुवार को कैंट बोर्ड कार्यालय में सुबह से शाम तक हड़कंप मचा रहा। सीबीआइ की टीम कार्यालय में सुबह करीब साढ़े 10 बजे पहुंच गई थी। इसके साथ ही टीम ने कार्यालय का मुख्य गेट बंद करा दिया था। रमन को रंगेहाथ रिश्वत लेते पकड़ने के बाद सीबीआइ की टीम ने उससे पूछताछ शुरू की। इसके बाद शैलेंद्र से पूछताछ की गई। यह घटनाक्रम शाम करीब पांच बजे तक चलता रहा। इससे अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों में भी हड़कंप की स्थिति रही। कार्रवाई के दौरान कैंट बोर्ड के कुछ अधिकारियों को भी सीबीआइ ने अपने साथ बैठा रखा था। इस दौरान किसी को भी कार्यालय में न तो प्रवेश दिया गया और न ही बाहर जाने दिया गया।

आरोपितों के घर की ली गई तलाशी
सीबीआइ ने शैलेंद्र शर्मा निवासी प्रेमनगर और रमन अग्रवाल निवासी झंडा बाजार को गिरफ्तार करने के बाद उनके घर पहुंचकर भी तलाशी ली। बताया जा रहा है कि सीबीआइ ने उनके घर से कुछ दस्तावेज बरामद किए हैं। रमन अग्रवाल ने कुछ समय पहले ही कैंट बोर्ड में अपने पिता की जगह मृतक आश्रित में नौकरी पाई थी। वहीं, शैलेंद्र शर्मा जनवरी 2023 में सेवानिवृत्त होने वाला है।

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