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पहाड की महिलाओं से घास छीनना, चालान गलत.. लेकिन मामले पर घटिया राजनीति कहाँ तक सही..?

पहाड की महिलाओं से घास छीनना, चालान गलत.. लेकिन मामले पर घटिया राजनीति कहाँ तक सही..? 

आजकल सोशल मीडिया पर एक चमोली हेलंग घाटी का विडियो काफी सुर्खियों में है जिसमें गाँव की महिलाओं से प्रशासन द्वारा घास छीना जा रहा है ओर बाद में इन महिलाओं का चालान भी किया गया
विडियो दुखद है विचलित करता है उतराखंड के जज्बात से जुडा है और हर उतराखंडी को बुरा लगा दिल पर लगा  विरोध हुआ जो सही था लेकिन जैसे ही देखा की मामला लोगों के दिल को छू गया है कुछ राजनेतिक गिरगिटों ने राजनैतिक रोटियाँ सेकनी शुरू कर दी, कुछ बातें आपके सामने रख रहा हूँ फैसला आप खुद करें..

अगर डंपिंग मिट्टी से स्थानीय युवाओं को खेलने के लिए मैदान मिल रहा है उसमें गलत क्या है..?

अब कुछ लोग वहाँ टीएचडीसी द्बारा स्थानीय गाँव वासियों जनप्रतिनिधियों की सहमति से जनहित में स्थानीय युवाओं बच्चों के लिए बनाये जा रहे मैदान का विरोध कर रहे हैं, अब अगर आप वाकई पहाडों में रहते हैं तो आपको पता होगा कि टीएचडीसी इस प्रकार के कई जनहित के कार्य पहाडी क्षेत्रों में कर रहा है जैसे ग्रामीण बच्चों के लिए मुफ्त कंप्यूटर कोचिंग, शौचालयों का निर्माण, महिलाओं के लिए सिलाई कढ़ाई सेंटर, सामुदायिक भवनों का निर्माण आदि कई कार्य टीएचडीसी द्वारा किये जा रहे हैं इसी कड़ी में हेलंग गाँव में भी टीएचडीसी द्बारा प्रस्तावित खेल के मैदान का निर्माण हो रहा है लेकिन फर्क यह है कि यह निर्माण टीएचडीसी के एक अन्य प्रोजेक्ट का मलबा यहाँ डंप करके यह निर्माण हो रहा है,
अब इस पर भी राजनीति कि कंपनी के फायदे के लिए मैदान बनाया जा रहा है.. क्या है यह..?
अब यार यह मलबा कहीं तो डंप होना था जाहिर है उतराखंड से बाहर तो जाना नहीं था
अब अगर स्थानीय गाँव वासियों जनप्रतिनिधियों की सहमति से कंपनी की डंपिंग से युवाओं को खेल का मैदान मिल रहा है इसमें गलत क्या है..?
और यह ऐशोआराम में जीने वाले घर में ही गोल्फ फिल्ड का मज़ा लेने वाले घटिया राजनीति कर रहे क्या जाने पहाड़ के बच्चे के लिए एक मैदान का महत्व..
हम पौढ़ी में पढते थे मैच खेलने के लिए 6 किमी पैदल खडी चडाई चढकर कंडोलिया फिल्ड जाना पडता था पाबो में खेतों में टूर्नामेंट खेलने जाते थे बाद में वो भी नहीं रहे, गाँव के बच्चे छोटे छोटे खेतों में अपने शौक पुरे करते हैं गिरते हैं चोटे लगती हैं कईयों के हाथ पैर टूटते है क्योंकि इनके पास खेलने के लिए मैदान नहीं है,
ऐसे में बिना सरकारी झोलमोल के युवाओं बच्चों को खेलने के लिए मैदान मिल रहा है तो दिक्कत क्या है यार...
और सुनने में आया है यहाँ भविष्य में मिनी सचिवालय भी प्रस्तावित है, अब इससे किसका फायदा होगा..?
क्षेत्र का विकास होगा रोजगार बढेगा लोगों को सहुलियत मिलेगी इसमें गलत क्या है यार..
जब विकास और सहुलियत की कमी के चलते गाँव में गाँववाले ही नहीं रहेंगे तो जंगल चाटने हैं क्या..
घटना का एक पहलू यह भी है कि क्यूँ  घटना के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों व गाँव वासियों द्वारा कोई विरोध प्रदर्शन नही हुआ, बकायदा प्रधान, जनप्रतिनिधियों गाँव वासियों ने मिलकर फिर अपनी सहमति जताई.. 
भाई जब " मियां बीवी राजी तो क्यों उछल रहे काजी "
और घटना का एक पहलू यह भी है कि उक्त सरकारी जगह पर कुछ महिलाओं ने अवैध गौशाला बना रखा था जिसको हटाए जाने के चक्कर में यह शुरू से ही विरोध कर रहे हैं

एक और बात औरतें बोल रही हैं जी वो हमारी घास की जगह थी और देहरादून वाला हूँ कहने वाले फालतू में जज्बाती हो रहे हैं, क्या आप कभी पहाडों में रहे हैं.. ?  जरा दिमाग लगाएं आखिर मैदान कितने एरिये में बन रहा होगा, आजकल तो बरसात है जंगल में हर तरफ घास ही घास है जैसे जैसे सीजन जाएगा गाँव की महिलाओं को 2 , 3 कई कई किमी तक इधर उधर घास के लिए जाना पडता है यहाँ तक की एक समय आता है जब जिनके खेतों में घास है उनके द्वारा घास के खेत जिनको "मांगे" कहा जाता है बेचे भी जाते हैं

कंपनी का बेतुका विरोध

कई विपक्षी नेता सिर्फ राजनीति के चक्कर में निर्माणकर्ता कंपनी का बेतुका विरोध कर मौके पर चौका मारने की फिराक में हैं, 
आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि निर्माण कर रही कंपनी  HCC यानि "हिंदुस्‍तान कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनी" यानि शुद्ध देसी कंपनी मतलब यहाँ तो विदेशी वाला एंगल भी नही बनता, अब यह कंंपनी सरकारी ठेके लेकर निर्माण करते हैं 
कंपनी ने जम्मू और कश्मीर में यूआरआई चरण II, चुटक एचईपी और निमू बाजगो एचईपी सहित तीन जलविद्युत परियोजनाओं को पूरा किया है।
आठ पनबिजली परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रहा है, जिसमें हिमाचल प्रदेश में दो, भूटान में दो और अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में एक-एक शामिल हैं।

इसके अलावा एचसीसी  ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच 125 कि.मी. लंबी बड़ी रेल लाइन का निर्माण कर रहे हैं इस परियोजना में 17 सुरंगें, 16 प्रमुख रेलवे पुल और 12 नये स्‍टेशन शामिल हैं। यह रेल लाइन नये व्‍यापार केंद्रों को जोड़ेगी। यह देवप्रयाग, श्रीनगर, रूद्रप्रयाग, गौचर, कर्णप्रयाग, देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रूद्रप्रयाग और चमोली को जोड़ते हुए कई प्रमुख स्‍थानों से होते हुए गुजरेगी। इससे उत्‍तराखंड के पांच जिलों - देहरादून, टिहरी गढ़वाल, पौड़ी गढ़वाल, रूद्रप्रयाग और चमोली में पर्यटन, व्‍यापार और आवागमन को बढ़ावा मिलेगा, जाकर देखिए जबरदस्त काम हो रहा है, इसमें गलत क्या है..?
कंपनी इस चीज में निपुण है और बकायदा टेंडर जीत कर अपना काम कर रही है अब अगर नियमों के खिलाफ कुछ हो रहा है प्रशासन को देखना है, अब हर काम में प्रस्थितियों के हिसाब से थोड़ा बहुत इधरउधर तो होता ही है,
अब अगर मेरी पसंद की कंपनी को काम नहीं मिला जहाँ से मुझे कमीशन मिलनी है तो मुझे तो मिर्ची लगेगी ही बस यही हो रहा है, इसको मिला तो उसको मिर्ची उसको मिला तो इसको मिर्ची यह नोटों की राजनीति है जिसमें
आपको सिर्फ जज्बाती मोहरा बनाया जा रहा है..
  21 वी सदी है समझदार बने इन बातों से दूर सिर्फ यह देखें की क्या प्रदेश के हित में है और क्या प्रदेश के हित में नहीं है विरोध उसका करें जो हमारी मात्रभूमि के खिलाफ है,

नया शगुफ्ता कि पेड काटे जा रहे हैं

अब मामले का फायदा उठा नया जज्बाती मामला जी पेड काटे जा रहे हैं
आप, उतराखंड में पहाडों में जहाँ भी रहते हैं अपने दिल पर हाथ रखकर बताएं क्या आपके आस पास प्रशासन की नाक के नीचे अवैध पेड नहीं काटे जाते... ? और वह सिर्फ निजी स्वार्थ के लिए काटे जाते हैं रोज काटे जाते हैं अब यहाँ तो जनहित में कुछ काम हो रहा है थोड़ा बहुत तो चलता है यार जनता का तो फायदा ही है ना अब होहल्ला मचाने वालों ने तो राजनैतिक रोटियाँ सेकनी है अगर इनके द्वारा यह काम करवाया जा रहा होता तो यह चुप होते जो चुप हैं वो हल्ला मचा रहे होते,
लेकिन आप एक उतराखंडी होने के नाते सिर्फ अपने विवेक से सही गलत का फैसला करें
जरा सोचें आलवेदर सड़क निर्माण के दौरान कितने पेड काटे गए उस समय बहुत दुख हुआ लेकिन आज कितना अच्छा लगता है इन सडकों को देखकर कभी यात्रा मार्ग पर श्रीनगर से आगे गाडियों की चेन बनी होती थी तीन, चार घंटे फसे रहते थे सीजन में उस सडक पर जाने से बचते थे आज मजा आता है उस रूट पर गर्व होता है इन सडकों पर कि यह मेरे उतराखंड की हैं,
कई दिल्ली बैठे तथाकथित पर्यावरण प्रेमियों ने इस पर होहल्ला मचाया वह मचा सकते हैं क्योंकि उन्हें यहाँ आना नही है इन सडकों पर चलना नहीं है लेकिन मुझे एक उतराखंडी के रूप में सोचना है मेरे प्रदेश का भला बूरा तय करके फैसला करना है..
अब यार "कुछ अच्छा करने में अगर दाग लगते हैं तो दाग अच्छे हैं "..

आखिर भू कानून के नाम पर इनकी जुबान क्यों चिपक जाती है..? 

आज यह जंगल पहाड़ बचाने की बडी बडी बातें फैकने वाले पक्ष विपक्ष की उस समय जुबान चिपक जाती है जबलभू कानून की बात होती है, आप बताएं अपने पहाड़ जंगल बचाने के लिए भू कानून जरूरी है या ठेके पर अपना काम कर रही कंपनियों का बेफालतू के विरोध का नाटक,
आज हिमाचल को देखो आप अपने पास के किरयाने की दुकान से कोई छोटा नये नाम का बिस्कुट का पैकेट लें लिखा होगा हिमाचल में बना, दिल्ली, पंजाब से युवा हिमाचल में काम करने जाते हैं वहां इंडस्ट्रीस हैं और भू कानून भी है, यहाँ भू कानून नहीं है आधा उतराखंड दलाल बेच चुके हैं लेकिन फिर भी कोई छोटी इंडस्ट्रीस नहीं आई क्यों.. ?
क्योंकि यहाँ आना है तो दलाली देनी पड़ेगी, जमीन के लिए दलाली लाइसेंस, यह वो हर काम के लिए दलाली कौन मेहनती इमानदार पडेगा चक्करों में..
और दलाली देकर जमीने खरीद कौन रहा है दारू वाले जिन्हें पानी भी मिलता रहे और भीड भाड से दूर बदबू भरा काम भी बिना ज्यादा झंझट के हो जाए, और खरीद रहे हैं हरियाणा, दिल्ली के अय्याश जिन्हें तफरी के लिए अय्याशी के लिए पहाडों में एक जगह चाहिए, लेकिन इसके विरोध के रूप में भू कानून की जोरदार मांग ना विपक्ष कर रहा है और पक्ष तो क्या ही करेगा क्योंकि इन नेताओं के अपने ही दलाल हैं जो पटवारी, तहसीलों से मिलकर चंद पैसों के लालच में अपनी मात्रभूमि को छलनी कर रहे हैं.. धडा़धड़ हेरफेर करके बेच रहे हैं
यह तो चलो सरकार से जुडी कंपनी है आप बड़ी अकड़ से विरोध का शगुफ्ता छोड रहे हैं
जरा सोचो ऐसी तेजी से पहाड़ अय्याशों के हाथ बिकते रहे, तो वह एक प्राइवेट प्रोपटी कहलाएगी और उसका मालिक घास तो क्या एक पत्थर तक उठाने में आपको अंदर करवा सकता है और आप कुछ नहीं उखाड़ पाओगे..

तो ज्यादा जरूरी है भू कानून

इसलिए किसी के भी अंधभक्त ना बने आपका प्रदेश है आपकी मात्रभूमि है, इसका भला बुरा आपको सोचना है, किसी की बातों में ना आएं अपना दिमाग लगाएं क्या अच्छा है क्या बुरा है,
और ऐसे मामले आपको सचेत करते हैं कि आप समझे कि कौन वाकई प्रदेश हित में है और कौन सिर्फ मौके पर चौका मार आपके जज्बातों का फायदा उठा आपको भ्रमित कर अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेक रहा है.. 

चमचे मत बनो जिम्मेदार नागरिक बनो

 अभी भी समय है जाग जाओ ..

प्रदीप भारतीय🇮🇳👳
जह हिंद जय उतराखंड

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