डा. मीनू सिंह बनीं AIIMS ऋषिकेश की नई कार्यकारी निदेशक, एक नजर...
ऋषिकेश: स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (पीजीआइएमईआर) चंडीगढ़ की प्रोफेसर डा. मीनू सिंह को ऋषिकेश एम्स का कार्यकारी निदेशक नियुक्त किया गया है। अभी तक उनके पास पीजीआइएमईआर में पीडियाट्रिक पल्मोनोलाजी विभाग और टेलीमेडिसिन विभाग के प्रमुख का दायित्व था। वर्तमान में एम्स रायबरेली के निदेशक प्रोफेसर डा. अरविंद राजवंशी के पास एम्स ऋषिकेश का अतिरिक्त प्रभार था।
बच्चों में टीबी के उन्मूलन को लेकर किया है काफी काम
डा. मीनू ने वर्ष 1994-95 में अमेरिका के पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय बच्चों के अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में प्रशिक्षण हासिल किया है। तब से वह लगातार पीजीआइ के एडवांस पीडियाट्रिक्स सेंटर में पीडियाट्रिक पल्मोनोलाजी के क्षेत्र में काम कर रही हैं। बच्चों में टीबी के उन्मूलन को लेकर उन्होंने काफी काम किया। बच्चों में टीबी के निदान को लेकर मापदंड तैयार करने, पहचान और इस रोग से बच्चों को बचाने के लिए दवा और वैक्सीनेशन के क्षेत्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और इसरो के साथ भी काम किया है। इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया।
डा. मीनू सिंह का महत्वपूर्ण शोध और योगदान बच्चों में अस्थमा, तपेदिक और सिस्टिक फाइब्रोसिस के क्षेत्र में रहा है। वह बीसीजी टीकाकरण और अस्थमा, एलर्जी पर आइसीएमआर परियोजनाओं का संचालन भी कर चुकी हैं। वर्तमान में एलर्जी ब्रोंकोपलमोनरी एस्परगिलोसिस पर आइसीएमआर की एक परियोजना का नेतृत्व कर रही हैं। सिस्टिक फाइब्रोसिस के आनुवंशिक निदान और प्रबंधन में भी उनका योगदान रहा। पीजीआइएमईआर चंडीगढ़ में रहते हुए उन्होंने डाक्टरी की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए एक व्यापक टेली-एजुकेशन नेटवर्क विकसित किया है।
बचपन में तपेदिक (टीबी) में डाट्स के लिए पाठ्यक्रम के मूल्यांकन पर डब्ल्यूएचओ एसईएआरओ के साथ एक प्रोजेक्ट पर काम कर चुकी हैं। इस प्रोजेक्ट में बच्चों में टीबी के प्रबंधन के लिए मानक उपचार दिशा-निर्देश तैयार किए गए। तपेदिक पर दिशा-निर्देशों के लिए आरएनटीसीपी की दिशा-निर्देश समितियों की सदस्य थी। प्रो. सिंह ने सिस्टिक फाइब्रोसिस के आनुवंशिक निदान और प्रबंधन में योगदान दिया है। उन्होंने वर्ष 1994-95 में अमेरिका के पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में बच्चों के अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में प्रशिक्षण हासिल किया है।
तब से वह लगातार पीजीआइ के एडवांस पीडियाट्रिक्स सेंटर में पीडियाट्रिक पल्मोनोलाजी के क्षेत्र में काम कर रही हैं। वे पीजीआइ में बाल चिकित्सा केंद्र में पल्मोनोलाजी क्लीनिक की प्रभारी रही हैं। इसरो और डीआइटी द्वारा विकसित तकनीक का उपयोग करके पीजीआइएमईआर में टेलीमेडिसिन सेंटर की भी प्रमुख रही हैं। इसके अलावा पीजीआइ चंडीगढ़ के मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए उन्होंने एक व्यापक टेली-एजुकेशन नेटवर्क विकसित किया है।
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