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अभी नही तो कभी नही

सराहनीय : जब खुद कॉल बैक करके बोले डीएम बागेश्वर, " बताइये आपने फोन किया था.. ?

सराहनीय : जब खुद कॉल बैक करके बोले डीएम बागेश्वर, " बताइये आपने फोन किया था.. ?


सरकारी अधिकारियों की लेट लतीफी ढीला रवैये के किस्से अक्सर समाचारों में छाए रहते हैं और सरकारी फोन नंबर तो मानो सिर्फ खानापूर्ति के लिए ही जारी होते हैं जो या तो आउट ऑफ सर्विस होते हैं या सिर्फ बजने के लिए ही होते हैं कोई गंगा नहाया ही होगा जिसका फोन सरकारी नंबर पर कोईअधिकारी रिसिव करे और गलती से उठा भी लिया तो संतोषजनक बातचीत करे लेकिन आज मेरे पत्रकारिता के लंबे कैरियर में हैरान करने वाली घटना हुई, अक्सर जनसमस्याओं के संदर्भ में अधिकारियों से बात करनी पड़ती है ज्यादातर उनके निजी नंबर पर ही बात हो पाती है कई बार उस पर भी कई कई बार फोन करना पडता है इनमें कई ऐसे बडे नाम भी हैं जो सोशल मीडिया पर कैमरों के सामने बडे नंबर जारी कर बडी बडी बातें करके जनसेवक बन अक्सर सुर्खियों में रहते हैं..
लेकिन आज कुछ ऐसा हुआ जो अविश्वसनीय था हुआ यूँ कि बागेश्वर जिले के कांडा तहसील में एक मिनी स्टेडियम का निर्माण हो रहा है जहाँ यह निर्माण हो रहा है उसके पीछे 10 , 12 परिवार का एक छोटा सा गाँव है जिसमें ज्यादातर बुजुर्ग ही रहते हैं इस गाँव का रास्ता उन खेतों के बीच से जाता था जिनपर निर्माण हो रहा है और स्टेडियम निर्माण के साथ ही रास्ता भी बंद हो गया है जब ठेकेदारों से बात की तो वह बोले जी यह तो सरकारी काम है हम क्या कर सकते हैं आप प्रशासन से जाकर बात करो प्रशासन की अनुमति हो तो हम बना देंगे, 
सोचा चलो डीएम साहब से बात करते हैं अब उनका निजी नंबर ढुढने की कोशिश की मिल नहीं सका मजबूरन सरकारी रिकॉर्ड से सरकारी मोबाइल नंबर लेकर उस पर कॉल की अब जैसी उम्मीद थी घंटी बजती रही लेकिन फोन नहीं उठा दो बार कोशिश कोई जवाब नहीं, हैरानी नही थी क्योंकि यह कोई नई बात नहीं थी..  लेकिन यह क्या...? हैरानी तब हुई जब 15 बीस मिनट के बाद उसी नंबर से कॉल आ रही थी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था.. घुमे दिमाग के साथ फोन उठाया सामने से बडी सोम्य आवाज आई जी डीएम बागेश्वर विनीत कुमार बोल रहा हूँ बताइये आपने फोन किया था..
उसके बाद बडे इतमिनान से बिना यह अहसास दिलाये कि वह डीएम हैं और वक्त बहुत कीमती है पुरी बात सुनी और बोले कोई बात नहीं आप उन्हें भेज दें मंजूरी मिल जाएगी, जो काम ठेकेदारों की हरकतों से पहाड जैसा लग रहा था वह डीएम साहब की बात से लगा जैसे कुछ भी नहीं है..
अब थोड़ी उत्सुकता हुई तो डीएम साहब के बारे में थोड़ा और जानना चाहा  तो पता चला डीएम विनीत कुमार 2013 बैच के आईएएस अधिकारी है। इससे पहले वह रानीखेत, देहरादून में एसडीएम और उत्तरकाशी, नैनीताल में सीडीओ के पद पर तैनात रहे हैं । जबकि अगस्त 2020 से डीएम बागेश्वर के पद पर हैं , और पद संभालते ही गुपचुप तरीके से बिना सुर्खियों में आए लगातार जनसेवा में लगे हैं, जिनमे सरकारी अस्पताल में इंटरनेट सुविधा के जरिये मरीजों को आनलाइन सुविधा आधुनिक मशीनों के जरिये सवास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना, गरीब जरुरतमंद बिमार बच्चों की देहरादून हलद्धानी के बड़े अस्पतालों में सर्जरी , तहसीलों के डिजिटलीकरण पर जोर देकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा तमाम सेवाओं को आमजन के लिए आसान करने पर जोर, कुर्सी तोड़ सरकारी कर्मचारियों पर नकेल कस कर कार्यालयों में अनुशासन व आमजन के लिए दोस्ताना माहौल.. समय समय पर जनमानस से रुबरु होकर असल में समस्याओं का निवारण..
और कमाल की बात यह कि सब काम बिना होहल्ला मचाये बिना लाईट एकशन कैमरा के, बिना सुर्खियों में आए पुरी जिम्मेदारी से..
अगर गलत का विरोध जरूरी है तो अच्छे की सराहना भी जरूरी है.. वैसे भी आज अच्छे अधिकारी हैं ही कितने और न्याय तो सिर्फ न्यायालय में ही रह गया है..
ऐसे में डीएम बागेश्वर विनीत कुमार जी का  उम्मीद से हटकर व्यवहार सच में इस भ्रष्टाचार भरे माहौल में दिल को सुकून देने वाला था..

" कदम कदम पर मांस नोचते गिद्ध बैठे हैं नामुराद सिस्टम में,
बाद मुद्दत के सुकून मिला कोई तो है जो थोडा हटके है "

प्रदीप भारतीय🇮🇳👳

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