दलित भोजन माता विवाद: आखिर सभी छात्रों ने साथ मिलकर खाया दलित भोजन माता से मिड-डे मील
चंपावत : कहते हैं बोए पेड बबूल का तो आम कहाँ से होए... उत्तराखंड के सूखीढांग स्कूल का दलित भोजन माता विवाद भी ऐसे ही नाटकीय घटनाक्रम के बाद आखिरकार एक सुखद अंत तक पंहुच गया है ..
इस स्कूल में भोजन माता को लेकर 18 दिसंबर से शुरू हुए विवाद पुरे देश दुनिया में उतराखंड की जगहंसाई के बाद अब बहुत ही सुखद समाधान हो गया है..
चुनाव दौर में भारी राजनैतिक खींचातानी के बाद आखिरकार शिक्षा विभाग के अधिकारियों सहित सामान्य तथा एससी छात्रों ने एक साथ मिलकर दलित भोजन माता द्धारा बनाये भोजन को खाकर कर घटनाक्रम को सुखद अंत दे दिया है..
दरअसल चंपावत जिले का सूखीढांग जीआईसी स्कूल पिछले कुछ दिनों से लगातार चर्चा में था. यहां सामान्य जाति के बच्चों ने 18 दिसंबर को एससी भोजन माता के हाथ से बना खाना खाने से इनकार कर दिया था. इस विरोध के चलते एससी भोजन माता को हटाकर स्कूल में सवर्ण भोजन माता को काम पर रख लिया गया.
जिसके बाद इसे लेकर एससी समुदाय ने मोर्चा खोल दिया और उनके बच्चों ने भी सवर्ण भोजन माता के हाथों बना खाना खाने से इनकार कर दिया.
चुनावी माहौल में तुरंत राजनेताओं ने मामले को लपक लिया और मामला चुनावी रंग में रंगने लगा वहीं उत्तराखंड में सियासी जमीन तलाश रही दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने भोजन माता को राष्ट्रीय राजधानी में नौकरी का नौकरी का न्यौता देकर मामले को और भी गर्मा दिया, हालात बिगड़ी देख मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक को इस पर संज्ञान लेना पड़ा था,
उपर से दबाव बढने पर प्रशासन भी तुरंत हरकत में आ गया और दोनों वर्गों बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता से बातचीत करके विवाद को सुलझा लिया. इसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्कूल के सभी 66 छात्रों के साथ मिलकर दलित भोजन माता के हाथ का बना खाना खाकर आखिरकार इस मामले को शांत कर दिया..
चलो जैसे भी सही अंत भला तो सब भला..
प्रदीप भारतीय🇮🇳👳
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