देवस्थानम बोर्ड विरोध: चारधाम तीर्थ पुरोहित ने निकाली जन आक्रोश रैली, धरना प्रदर्शन
देहरादून : चारधाम तीर्थ पुरोहित हक-हकूकधारी महापंचायत के प्रवक्ता डॉ. बृजेश सती ने बताया कि 27 नवंबर को देवस्थानम बोर्ड को दो साल पूरे हो गए हैं।
देवस्थानम बोर्ड के विरोध में शनिवार को चारधाम तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी महापंचायत ने आक्रोश रैली निकाली। गांधी पार्क से रैली निकाल कर सचिवालय कूच किया गया। रैली के दौरान पुलिस ने सुभाष रोड स्थित बैरिकेडिंग पर तीर्थपुरोहितों को रोक लिया। इस दौरान पुलिस के साथ धक्का-मुक्की भी हुई। वहीं, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और कांग्रेस महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा भी रैली को समर्थन देने के लिए पहुंचे।
महापंचायत के प्रवक्ता डॉ. बृजेश सती ने बताया कि 27 नवंबर को देवस्थानम बोर्ड को दो साल पूरे हो गए हैं। बोर्ड के विरोध में चारों धामों के तीर्थपुरोहित व हकहकूकधारियों ने काला दिवस मनाकर आक्रोश रैली निकाली। इसके अलावा चारों धामों के शीतकालीन पूजा स्थलों में भी तीर्थ पुरोहित व मंदिरों से जुड़े हकहकूकधारियों ने प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराया।
इसी क्रम में शनिवार को देहरादून के गांधी पार्क से सचिवालय तक आक्रोश रैली निकाली गई। जिसमें चारों धामों के तीर्थ पुरोहित व हक-हकूकधारी शामिल हुए। गुप्तकाशी में केदार सभा के अध्यक्ष व चारधाम महापंचायत के उपाध्यक्ष विनोद शुक्ला के नेतृत्व में यह रैली निकाली गई।
देवस्थानम बोर्ड को लेकर धर्मनगरी हरिद्वार में संतों की सियासत गरमाने लगी है। संत-महंत से लेकर तीर्थ पुरोहितों के बोर्ड भंग करने की पुरजोर मांग पर उठने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के दोनों गुट कूद पड़े हैं।
अखाड़ा परिषद के दोनों गुटों में मुद्दे को लपकने की होड़ शुरू हो गई है। इनमें एक गुट सरकार से बोर्ड भंग करवाने के लिए शांतिपूर्ण वार्ता तो दूसरा गुट 30 नवंबर के बाद आंदोलन शुरू करने का दबाव बना रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में देवस्थानम बोर्ड गठित हुआ। इसमें मठ-मंदिरों पर सरकार का नियंत्रण किया गया।
बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहित लगातार आंदोलन कर रहे हैं। पिछले ही दिनों पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को केदारनाथ मंदिर में दर्शनों से रोका गया। इसी सप्ताह तीर्थ पुरोहितों ने कैबिनेट मंत्रियों का घेराव किया। बोर्ड भंग करने के मुद्दे पर धर्मनगरी के मठ-मंदिर और अखाड़ा-आश्रमों में सियासत होने लगी है।
अखाड़ा परिषद में दो फाड़ हैं। इन्हीं परिषद के अधीन अखाड़ों के संत-महंत जुड़े हैं। दोनों गुटों की मांग बोर्ड भंग करने की है, लेकिन रास्ते अलग-अलग हैं। दोनों गुट इस मुद्दे को लपकना चाहते हैं। सरकार से लेकर संतों में अपने वजूद का दबदबा बनाना चाहते हैं। इनमें अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी (श्री निरंजनी) गुट सरकार से वार्ता कर बोर्ड भंग करवाने का दबाव बना रहा है। जबकि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी (महानिर्वाणी) गुट सरकार को चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की चेतावनी दे चुका है।
0 Comments