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गजब : आपस में ही नहीं तालमेल, पहले CM धामी फिर विभागीय मंत्री ने ली मीटिंग

गजब : आपस में ही नहीं तालमेल, पहले CM धामी फिर विभागीय मंत्री ने ली मीटिंग
देहरादून : उत्तराखंड में भाजपा का मुख्यमंत्री कोई भी रहा हो, सरकार के मुखिया और मंत्रियों में तालमेल की भारी कमी हमेशा दिखाई दी. शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने लोक निर्माण विभाग की महत्वपूर्ण मीटिंग ली. इसमें मुख्य सचिव समेत लोनिवि के प्रमुख सचिव, एनएच, लोनिवि, एनएचडीसीआईएल समेत सड़क और चारधाम रोड परियोजना से जुड़े तमाम विभागों के अफसर मौजूद थे. लेेकिन ताज्जुब ये है कि इस महत्वपूर्ण मीटिंग में खुद पीडब्ल्यूडी मंत्री सतपाल महाराज मौजूद नहीं थे. महाराज शुक्रवार को टिहरी जिले के नैनबाग क्षेत्र के दौरे पर थे.

सवाल ये उठता है कि क्या मुख्यमत्री और मंत्रियों के बीच इतना भी कम्यूनिकेशन नहीं है, कि विभागीय मीटिंग का शेडयूल एक दूसरे का प्रोगाम देखकर तय किया जाए. शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने तो शनिवार को फिर विभागीय मंत्री ने अफसरों की मीटिंग ली. अच्छा होता एक ही मीटिंग में चीजें साफ कर ली जाती तो समय और धन की बरबादी नहीं होती.

करीब 900 किमी लंबी चारधाम रोड परियोजना के चौड़ीकरण के द्वौरान बनाए गए डंपिंग जोन को सरकार पर्यटन की दृष्टि से डेवलेप करने का प्लान तैयार कर रही है. इसमें करीब 350 डंपिग जोन हैं. सरकार इनको डेवलप कर कैरावन, पार्किंग, शौचालय, रेस्ट हाऊस, रेस्टोरेंट जैसी गतिविधियां संचालित करना चाहती है. इसके पीछे दोहरा उददेश्य है. खाली जमीन का उपयोग होगा तो दूसरी ओर बेराजगारों को रोजगार मिलेगा. शनिवार को लोक निर्माण विभाग के मंत्री सतपाल महाराज ने विभागीय अफसरों की मीटिंग ली. बताया गया कि पर्यटन की दृष्टि से विकसित किए जाने के लिए साढे़ तीन सौ डंपिंग जोन में से 54 डम्पिंग जोन चिन्हित किए गए हैं. इनका कुल क्षेत्रफल 125 बीघा है.

क्या  होता है डंपिंग जोन
जब किसी सड़क का निर्माण होता है या चौड़ीकरण होता है. तो सड़क काटने में जो मलबा निकलता है, उसे एक निश्चित जगह पर डंप किया जाता है. जिसे डंपिंग जोन कहा जाता है. डंपिंग जोन बनाने से पहले यहां तमाम सुरक्षात्मक उपाय किए जाते हैं. हजारों घन मीटर मलबा एक स्थान पर डंप होने से वहां नई जगह डेवलेप हो जाती है. लेकिन, चारधाम यात्रा रूट पर जो ड़पिंग जोन बनाए गए है, उनकी गुणवत्ता पहले ही सवालों के घेरे में है. हजारों घन मीटर मलबा, बोल्डर का भार रोकने के लिए जो दीवारें बनाई गई हैं वो बहुत कमजोर हैं. इन पर लगाया गया वायरक्रेट भी मानकों के अनुरूप नहीं है.

पिछले साढ़े चार सालों में लोक निर्माण जैंसा महत्वपूर्ण विभाग मुख्यमंत्रियों के पास ही रहा है. भाजपा कार्यकाल के तीसरे मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने जरूर लोक निर्माण विभाग खुद से हटाकर सरकार में सीनियर मिनिस्टर सतपाल महाराज को सौंप दिया था. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने डंपिंग जोन में गतिविधियां संचालित करने का कंसेप्ट दिया था. लेकिन, पिछले दो ढाई साल में इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ. अब जबकि, सरकार के पास पांच महीने का ही समय बचा है, एक बार फिर डंपिग जोन पर बात होने लगी है. कब तक योजना धरातल पर उतरेगी, उतर भी पाएगी या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है.

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