UK बोले तो Uttrakhand

अभी नही तो कभी नही

बंगाल चुनाव 2021 : ममता बनर्जी ने फिर साबित किया कि " जिद्द के आगे दीदी हैं " एक रिपोर्ट..

बंगाल चुनाव  2021 : ममता बनर्जी ने फिर साबित किया कि " जिद्द के आगे दीदी हैं "  एक रिपोर्ट.. 
 पश्चिम बंगाल में एक बार फिर तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनने की तैयारी होने लगी है. ममता बनर्जी राज्य में जीत की हैट्रिक के साथ लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होंगी. बंगाल में 'दीदी' के संबोधन से मशहूर ममता बनर्जी अपनी जिद्दी परिवर्ती के लिए जानी जाती हैं इस चुनाव में विकट परिस्थितियों में भी वे कई बार अपनी जिद्द पर अडी रही जैसे कभी अपने सबसे करीबी नेताओं में शुमार रहे शुवेंदु अधिकारी ने अपनी धाक वाली नंदीग्राम सीट से (जहाँ वह 2016 में तृणमूल कांग्रेस की टिकट पर बंपर वोटों से एकतरफा जीते थे) उन्हें चुनौती दी तो उन्होंने वहीं से पर्चा भरा चुनाव प्रचार के दौरान एक वक्त ऐसा लगने लगा था कि नंदीग्राम से अधिकारी जीत जाएंगे ऐसे में सुरक्षा के लिए ममता को किसी और सुरक्षित सीट से भी नामांकन दाखिल करना चाहिए लेकिन वह जिद पर अड़ गईं और उन्होंने केवल एक सीट से ही चुनाव लड़ने का फैसला किया. जो कि उम्मीद के अनुसार काफी कांटेदार रहा भी वोटों की गणना के दौरान एक वक्त सच में लगने लगा था कि ममता बनर्जी हार जाएंगी लेकिन अंत में करीब 1200 वोटों से दीदी ने जीत दर्ज की, 

ममता बनर्जी को जिद्दी माना जाता है और ऐसा उनके करीबी भी कहते हैं. वह किसी काम को करने के लिए जिद पर अड़ जाती हैं तो उसे पूरा करके ही दम लेती हैं. यही कारण है कि पिछले दो कार्यकाल पूरा करने के बाद पश्चिम बंगाल की जनता ने उन पर तीसरी बार भरोसा जताया. उनकी जीत कुछ अन्य दलों के नेताओं के लिए भी फायदे का सौदा लग रही है और उन्होंने इसके बहाने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है जिसमें अखिलेश यादव, महबूबा मुफ्ती और शिवसेना के संजय राउत शामिल हैं.

पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव बेहद चुनौतीपूर्ण नजर आ रहे थे और ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि केंद्र की बीजेपी सरकार ने इस राज्य में काफी मेहनत की. केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो तक ने विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया. आसनसोल से मौजूदा लोकसभा सांसद सुप्रियो टॉलीगंज से चुनावी समर में उतर गए. इतना ही नहीं, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रैलियां की लेकिन तृणमूल कांग्रेस को दो तिहाई बहुमत मिल गया. ममता बनर्जी को चोट भी नंदीग्राम के इलाके में लगी जिसके बाद ममता ने चुनाव प्रचार व्हीलचेयर पर बैठकर किया. उन्हें काफी लोगों ने सलाह दी थी कि वह आराम करें लेकिन जिद्दी ममता ने थोड़ा ही आराम करने के बाद चुनाव प्रचार में जुट गईं. उन्हें सहानुभूति के सहारे भी काफी वोट पड़े लेकिन आखिरकार उनकी जिद जीती. बीजेपी नेताओं ने ममता बनर्जी के को निजी तौर पर निशाना बनाया लेकिन उसे भी उन्होंने अपने पक्ष में ही कर लिया.
ममता के जिद्दीपन के बारे में तो एक किस्सा काफी मशहूर है जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उनसे कहा था कि आप अगर नहीं मानेंगी तो वह खाना नहीं खाएंगे. दरअसल, ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस पार्टी बनाने के बाद से ही एनडीए सरकार में रही थीं. उन्होंने रेल मंत्री का पद संभाला लेकिन तहलका कांड के चलते उन्होंने 17 महीने बाद ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया और एनडीए सरकार से अलग हो गईं. अटल बिहारी ने उन्हें फोन कर दिल्ली बुलाया और सरकार में बने रहने को कहा लेकिन ममता भी जिद पर अड़ गईं. तब पूर्व प्रधानमंत्री ने उनसे कहा कि अगर वह नहीं मानेंगी तो वह खाना नहीं खाएंगे. बाद में ममता मानीं तो लेकिन बिना किसी पोर्टफोलियो के मंत्री बनीं.

राज्य में इस बार का चुनाव इतना अनिश्चित नजर आने लगा था ममता के राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी एक वक्त परेशानी में नजर आए. उन्होंने भी नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और बीजेपी की व्यूह रचना का लोहा मान लिया था लेकिन टीएमसी ने एकतरफा अंदाज में ही जीत दर्ज की. मामला जहां चुनाव से पहले तक बराबर का लग रहा था, बाद में परिणाम ममता बनर्जी के पक्ष में ही आया. पश्चिम बंगाल के चुनाव में बीजेपी ने हालांकि बहुत कुछ हासिल किया है और 2016 की तीन सीटों से बढ़कर जीत दर्ज की है.

Post a Comment

0 Comments