वाह सरकार : अस्पतालों में मचा है हाहाकार ,अभी भी कुंभ में लगा है 10 फीसदी डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ
ज्ञात हो कि प्रदेश में कोरोना ने हाहाकार मचा रखा है कोविड अस्पतालों में मरीजों की बडती भीड को काबू करना मौजूद स्टाफ के बस से बाहर हो रहा है समय पर इलाज ना मिलने से लोग जान गंवा रहे हैं शमशान तक में जगह नही मिल रही है, अस्पतालों में स्टाफ की भारी कमी है,
लेकिन कमाल की बात यह है कि राज्य में बेकाबू होते गंभीर हालात होने के बावजूद अभी तक राज्य के तकरीबन 10 फीसदी डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मी हरिद्वार कुंभ में तैनात किए गए हैं। ऐसे हालात में जब इन डॉक्टर कर्मचारियों का उपयोग कोरोना से जंग में होना चाहिए इनकी बेवजह हरिद्वार में तैनाती.. ? यह है लाशों के ढेर पर सरकार की संजीदगी...
यहाँ पर यह बता देना जरूरी है कि वर्तमान में हरिद्वार महाकुंभ में आए अधिकांश साधु-सन्यासी और श्रद्धालु वापस लौट चुके हैं। कई अखाड़े खुद ही कुंभ समाप्ति का ऐलान कर चुके हैं। दुनिया भर के न्यूज़ चैनलों पर भारत में कोरोना के मौजूदा हालात के लिए महाकुम्भ बदनाम हो रहा है, लेकिन सरकार है कि ऐसे हालात में भी कुंभ को समाप्त करने को तैयार नहीं है।
और तो और हरिद्वार में अब भीड़ भाड़ लगभग खत्म हो चुकी है इसके बावजूद अभी तक बड़ी संख्या में डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों को कुंभ के नाम पर तैनात किया गया है। आंकड़ों के अनुसार सरकार ने 250 के करीब सरकारी डॉक्टरों को तैनात कर दिया था। जबकि 600 के करीब स्टाफ नर्स, फार्मासिस्ट व पैरामेडिकल स्टाफ को भी हरिद्वार के अस्पतालों में तैनात किया गया।
यही नहीं आंकड़े बताते हैं कि उत्तरप्रदेश से भी 300 डाक्टर हरिद्वार में तैनात किये गए थे जिनमें से 100 डाक्टर अभी भी कुंभ में तैनात हैं और मौजूदा समय में उतरप्रदेश की हालत भी किसी छुपी नहीं है,
जब इन कोरोना योद्धाओं की जरूरत इंसानी जिंदगियां बचाने के लिए है ऐसे में इनकी कुंभ के नाम पर बेवजह तैनाती आखिर क्या दर्शाती है..?
राजनीति चमकाने के चक्कर में पुरी दुनिया में पवित्र महाकुम्भ तो बदनाम कर ही दिया अब कुंभ के नाम पर यूँ लाशों के ढेर लगाकर कौन सा पुन्य कमा लोगे सरकार...
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