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उतराखंड : क्या सुप्रीम कोर्ट में चल रहे ये मामले ले डुबे सीएम त्रिवेंद्र रावत की कुर्सी..? एक रिपोर्ट..

उतराखंड : क्या सुप्रीम कोर्ट में चल रहे ये मामले ले डुबे सीएम त्रिवेंद्र रावत की कुर्सी..? एक रिपोर्ट.. 
देहरादून : आखिर एक बार फिर किनारे से बस कुछ दूरी पर डोला उत्तराखंड सीएम कुर्सी का सफर , और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के होते हुए भी प्रचंड बहुमत वाली सरकार की रहनुमाई कर रहे उत्तराखंंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की कुर्सी भी उतराखंड का राजनैतिक इतिहास दोहराती हुई चौथे साल में किनारे पर लगते लगते खिसक गई, शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इतने बड़े बहुमत के अगुआ का सफर अधूरा रह जाएगा.
वैसे तो इसके कई कारण बताए जा रहे हैं जैसे असंतोष से भरे अपने ही पार्टी के विधायकों के बागी तेवर,  प्रदेश में लगातार बढते जन आक्रोश के बीच घटती लोकप्रियता, 
लेकिन कोर्ट में चल रहे दो मामले भी  सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए है जिन्हें त्रिवेन्द्र सिंह रावत के चले जाने के पीछे बहुत बड़े कारण के तौर पर देखा जा रहा है. दोनों मामले गंभीर भ्रष्टाचार से जुड़े हुए हैं, और कोर्ट में विचाराधीन हैं 

पत्रकार समाजसेवी उमेश कुमार द्वारा लगाया गया भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप 

ज्ञात हो कि पिछले साल वरिष्ठ पत्रकार / समाजसेवी उमेश कुमार ने एक फेसबुक लाइव करके मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए आमजनमानस तथा राजनैतिक गलियारों में उथल पुथल मचा दी थी उन्होंने कुछ बैंक खातों की डिटेल साझा करते हुए आरोप लगाया था कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साल 2016 में अपने रिश्तेदार के खाते में घूस के पैसे ट्रांसफर कराये थे उनका आरोप था कि साल 2016 में नोटबंदी के समय झारखण्ड में भाजपा की सरकार थी और त्रिवेन्द्र सिंह रावत वहां के प्रभारी थे. रावत ने एक व्यक्ति को गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनवाने के एवज में घूस की रकम ली थी. आरोप लगे थे कि इस पैसे को उन्होंने अपनी पत्नी की बहन के खाते में ट्रांसफर करवाया था. इस संबंध में उमेश कुमार ने कुछ अकाउंट डिटेल भी शेयर की थी,
जिसके बाद  उमेश कुमार पर देहरादून में मामले से जुड़े लोगों द्वारा धडा़धड़ कई मुकदमें दर्ज किये गये तथा उमेश कुमार की गिरफ्तारी का प्रयास किया जाने लगा राहत के लिए तथा अपनी बात रखने के लिए उमेश कुमार ने नैनीताल हाईकोर्ट में का रुख किया तथा अपने उपर लगे मुकदमों के खिलाफ याचिका दायर की और इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मामले को गंभीर बताते हुए हाईकोर्ट ने त्रिवेन्द्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिए, जबकि हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और इस मामले पर कल यानि 10 मार्च को सुनवाई होनी है.
अब सत्ता के गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि इसी वजह से आनन-फानन में त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सीएम के पद से हटाया गया है. अगर उनके सीएम के पद पर रहते सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर उनके खिलाफ आ जाता तो इससे फजीहत बहुत होती जिसे आने वाले चुनावी साल तक भरना मुश्किल हो जाता और भारी नुकसान हो सकता था, लिहाजा इससे पहले ही सीएम को बदलने का फैसला ले लिया गया.

 ढेंचा बीज धोटाला

और दुसरा बडा कारण माना जा रहा है अदालत में विचाराधीन ढेंचा बीज धोटाला बता दें कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत के खिलाफ ढ़ैंचा बीज के घोटाले का प्रकरण पहले से ही अदालत में चल रहा है. ज्ञात हो कि भुवनचन्द्र खण्डूरी के सीएम रहते समय त्रिवेन्द्र सिंह रावत कृषि मंत्री थे उनके कृषि मंत्री रहते ढ़ैंचा बीज की खरीद में बड़ा घोटाला हुआ था. यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट में है और इसकी भी अभी सुनवाई होनी है
और चर्चा यह भी है कि सुनवाई से पहले ही त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया है. 
वजह जो भी फिलहाल हकीकत यह है त्रिवेंद्र सिंह रावत का सीएम का सफर समाप्त हो चुका है और नए सीएम की तलाश पूरी हो चुकी होगी, लेकिन औपचारिक तौर पर नाम सामने आना बाकी है.
अब देखना यह है कि यह नया नाम बचे हुए एक साल में कौन सा करिश्मा करता है जिससे भाजपा की प्रदेश में डुबती साख फिर से पटरी पर आ सके? 

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