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सीएम रावत के विवादित बोल और फडफडाते घटिया सोच वाले संस्कृति के ठेकेदार.. एक रिपोर्ट

 सीएम रावत के विवादित बोल और फडफडाते घटिया सोच वाले संस्कृति के ठेकेदार.. एक रिपोर्ट


आजकल उतराखंड के नव घोषित सीएम तीरथ रावत के दो विवादित ब्यान खासा बवाल मचाए हुए हैं, जो उनकी रूढ़िवादी पुरुषप्रधान मानसिकता को उजागर करते हैं

पहला ब्यान..

उन्होंने अपनी एक हवाई यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, "मैं एक दिन हवाई जहाज से जयपुर से आ रहा था. मेरे बगल में एक बहनजी बैठी थी. मैंने उनकी तरफ देखा नीचे गम बूट थे. जब और ऊपर देखा तो जींस घुटने से फटी हुई थी. 2 बच्चे उनके साथ में थे. महिला एनजीओ चलाती है. समाज के बीच में जाती हो. क्या संस्कार दोगे?"

वहीं दुसरा वह अपने कालेज का किस्सा सुनाते हैं

“श्रीनगर में जब मैं पढ़ता था, एक चंडीगढ़ से आई लड़की, थी पहाड़ की ही, लेकिन चंडीगढ़ से आई थी. हाफ कट ड्रेस पहनती थी. ऐसे देख रहे थे लड़के उसको… बस आ गई बंबई से…उसका कुछ दिन ऐसा मज़ाक बना, ऐसा मज़ाक…क्योंकि सारे पीछे भागना शुरू कर दिए. यूनिवर्सिटी में पढ़ने आई हो… और बदन दिखा रहे हो…क्या होगा?”

एक राज्य के मुख्यमंत्री  के इन ब्यानों के बाद घटिया पुरुषवादी मानसिकता रखने वाले गंदी नाली के वो कीड़े संस्कृति की ठेकेदारी लेकर फडफडाने लगे हैं जो खुद के दिमाग की गंदगी को भी यह कहकर जस्टीफाई करते हैं कि यौन शोषण और रेप के लिए औरतें इनवाइट करती हैं, अपने छोटे कपड़ों से. अपना बदन दिखाकर.

अबे शर्म करो मुख्यमंत्री के किस्से में चलो उस लडकी को तो आपने गुनहगार बना दिया क्योंकि उसने हाफ कट पहना था लेकिन उन लडकों का क्या जो उसके पीछे भाग रहे थे उसका मजाक बना रहे थे, उनको आप क्या कहोगे ?
क्या यह हमारी संस्कृति है  ? लडकियों के पीछे भागना उन पर भद्दे कमेंट करना मानसिक रूप से प्रताड़ित करना .. क्या यह है सनातन संस्कृति ?
ऋषियों मुनियों ब्रहमचर्यों की धरती है यह..

अबे शर्म करो जब 37 डिग्री की दमघोंटू गर्मी में हम पंखे के नीचे भी हाफ निकर पहने कुत्तों की तरह हांफ रहे होते हैं महिलाओं को मोटे मोटे पैडेड ब्रा पहनने पडते हैं ताकि कोई घटिया सोच वाला इंसानी भेडिया निप्पल के उभार  देखकर फाड खाने वाली नजरों से ना रौंदे, स्कीन छील जाती है ,
इन जैसे पुरुषों की वजह से ही औरतें अपने पल्लू से पीठ ढक लेती हैं कि ब्लाउज़ के डिज़ाइन से कोई उत्तेजित होकर पीछे न पड़ जाए, सडी गर्मी में कुर्ती के साथ अंदर शमीज पहननी पडती है कि कोई भेडिया हलकी कुर्ती के अंदर झांक कर आंखों से ना काट खाए... ! कभी एक दोस्त बनकर अपनी माँ बहन के दर्द जानने की कोशिश करना..

लड़की स्लीवलेस टॉप पहने, फटी जींस पहने, चाहे सलवार कमीज़ इसका इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि वो अपने करियर और पढ़ाई को लेकर कितनी फोकस्ड है. आंकड़े उठाकर देख लो आज भी इग्जाम में 70 से 80 प्रतिशत लडकियां ही टापर होती हैं

मुख्यमंत्री का दुसरा अनुभव विमान में घुटने वाला...
तो माननीय घुटनों से आगे भी दुनिया है यहाँ महिला अपने बच्चों के साथ घर जा रही है यह उसकी निजी जिंदगी है,
और वो प्रोफेसर है एन जी ओ चलाती है वह उसकी सामाजिक जिंदगी है,
दोनों अलग हैं..
और एक पढी लिखी मार्डन महिला को अपने संस्कार, सभ्यता अच्छी तरह मालूम है
जब मंदिर या धार्मिक स्थल में जाती है वह सूट पहने सर ढके ही जाती है
जब एक मार्डन महिला अस्पताल में नर्स है तो वह फटी जींस में आपको इंजेक्शन नहीं लगाती, जब वह स्कूल में टीचर है तो मिनी स्कर्ट में आपके बच्चे को शिक्षा नहीं देती साडी या सूट ही पहनती है.. , जब वह किसी की मौत पर जाती है तो हाफ कट नहीं पहनती सफेद कपड़े में सर ढककर ही जाती है..
लेकिन जब वह अपने घर में है अपने दोस्तों के साथ है अपने परिवार के साथ है यह उसकी निजी जिंदगी है जो पुरी तरह उसकी अपनी है उसमें वह क्या पहनती है कैसे रहती है किसी के बाप को हक नहीं है उस पर टिप्पणी करने का ...
माननीय मुख्यमंत्री ने अपने स्वर्णिम अनुभव बता दिए और दोनों ही बातें ये दिखाती हैं कि वो किसी औरत के कपड़ों के ऊपर देख ही नहीं पाते.. उन्हें अपनी ज़िंदगी अपने हिसाब से जीने की आज़ादी का मतलब समझ में नहीं आता. उन्हें नहीं समझ में नहीं आता कि चाहे साड़ी पहनने वाली औरत हो, चाहे स्कर्ट पहनने वाली, चाहे जींस टॉप पहनने वाली, उसके कपड़े न किसी के लिए इन्विटेशन होते हैं और न ही ये इस बात का परिचायक होते हैं कि वो कितनी संस्कारी है या अपनी पढ़ाई-लिखाई और करियर को लेकर कितनी गंभीर है.

कई लोगों ने RSS के पुराने यूनिफॉर्म यानी शॉर्ट्स के बारे में लिखा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दूसरे बीजेपी नेताओं की फोटो डालकर सवाल किया कि रावत उन पर क्या कहेंगे? RSS वाले भी पहले घुटनों से ऊपर ही कपड़े पहनते थे.

अब इसका जवाब रावत दें न दें, हमें पता है कि उनका ध्यान इस ओर गया ही न होगा कि घुटने दिखाते पुरुष से देश की संस्कृति को कोई खतरा हो सकता है. उनके हिसाब से तो इस महान देश की संस्कृति और संस्कारों का बोझ औरत के छाती और घुटनों के ऊपर के हिस्सों पर है. बाकी मर्द चड्डी पहनकर, अपने आंगन में खटिया डालकर सो जाएं दारू पीकर नंगा नालियों में पडा रहे कुत्ते उसका मुंह चाटें , या खुले आम तेल मालिश करवाएं, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

और माननीय गंदी सोच वालो
अगर इस देश को उंचाई पर ले जाने के लिए कल्पना चावला, पीवी सिंधु, मैरीकाम जैसी महिलाए चाहिए तो
हाफ स्कर्ट में सामने वाले की धज्जियां उडाने वाली सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल भी चाहिए और ऐशवर्या राय, मानुषी छिल्लर भी चाहिए

हालांकि विवाद बडने पर सीएम रावत पुरे मामले पर माफी मांग चुके हैं.. 

यह तो हुई तीरथ सिंह रावत की बात.

वो लोग जो रावत के विरोध में और भी ज्यादा बेहुदा बात कह रहे

लेकिन सीएम के विरोध के नाम पर कुछ ऐसे लोग भी इंटरनेट पर हैं जो उनसे भी ज्यादा घिनोनी हरकतें कर रहे हैं

ज्ञात हो कि कुछ द्बारा मुख्यमंत्री की बेटी लोकांक्षा की एक फोटो शेयर की जा रही है. लोकांक्षा दसवीं क्लास में पढ़ती हैं. उनकी शॉर्ट्स वाली एक फोटो शेयर करते हुए लोग लिख रहे हैं,

“लोगों को संस्कारों पर ज्ञान दे रहे हैं, मुख्यमंत्री पहले अपने घर के संस्कार तो देख लें. दोहरी मानसिकता”

ऐसा लिखने वालों को इस बात से दिक्कत नहीं है कि मुख्यमंत्री औरतों के कपड़ों पर घटिया बातें बोल रहे हैं. उन्हें दिक्कत इस बात से है कि सीएम की अपनी बेटी जैसे कपड़े पहनती है, वैसे कपड़ों के खिलाफ वो बयानबाजी कर रहे हैं. मैं बोल चुका हूँ किसी के कपड़े उसके संस्कार और गंभीरता के परिचायक नहीं हैं, न हो सकते हैं. यह बात मुख्यमंत्री के परिवार की महिलाओं के लिए भी लागू होती है.

अरे शर्म करो संस्कृति के ठेकेदारो लोकांक्षा एक बच्ची है नाबालिग हैं. बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं.
आपकी यह घटिया हरकत उसके नादान दिल पर क्या असर डालेगी, वह इस कठिन पढाई के दौरान अपने स्कूल अपने सहपाठियों के साथ कैसे सहज रह पाएगी, इस सब में उस नादान बच्ची को घसीटना कौन से संस्कार आपको सिखाते हैं
कुछ तो शर्म करो,

अरे सभ्यता संस्कृति के पालक बनों ठेकेदार मत बनों

जय हिंद जय उतराखंड

🇮🇳 प्रदीप भारतीय  🇮🇳

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