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Happy Christmas: 🎅क्यों मनाया जाता है क्रिसमस पर्व ? क्या है प्रभु यीशु की जन्मगाथा पढ़ें..🎅

Happy Christmas: 🎅क्यों मनाया जाता है क्रिसमस पर्व ? क्या है प्रभु यीशु की जन्मगाथा ? एक नजर...... 🎅
ईसाइयों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार क्रिसमस विश्व भर में 25 दिसम्बर को खूब हर्षोल्लास से मनाया जाता है। क्रिसमस की पूर्व संध्या यानि 24 दिसंबर से ही क्रिसमस से जुड़े कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं। यूरोपीय और पश्चिमी देशों में इस दौरान खूब रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत में भी लगभग सभी राज्यों में क्रिसमस की काफी धूम रहती है इसके अलावा विभिन्न शहरों की बड़ी चर्चों में भी इस दिन सभी धर्मों के लोग एकत्रित होकर प्रभु यीशु का ध्यान करते हैं। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर लोग प्रभु की प्रशंसा में कैरोल गाते हैं और क्रिसमस के दिन प्यार व भाईचारे का संदेश देने एक दूसरे के घर जाते हैं।

सामाजिक पर्व बन गया है क्रिसमस
 
क्रिसमस अब सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं रहा बल्कि इसने सामाजिक पर्व का रूप धारण कर लिया है तभी तो अब सभी समुदायों के लोग बढ़−चढ़कर इसे मनाते हैं और आपस में खुशियां बांटते हैं। क्रिसमस हंसी−खुशी का त्यौहार है इस दिन विश्व भर के गिरजाघरों में प्रभु यीशु की जन्मगाथा की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं और गिरजाघरों में प्रार्थना की जाती है। क्रिसमस को सभी ईसाई लोग मनाते हैं और आजकल कई गैर ईसाई लोग भी इसे एक धर्मनिरपेक्ष, सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाते हैं।क्रिसमस के दौरान उपहारों का आदान−प्रदान किया जाता है
क्रिसमस ट्री का चलन
 
इस पर्व के दौरान सभी लोग अपने घरों में क्रिसमस ट्री लगाते हैं जिसे अच्छे अच्छे उपहारों से सजाया जाता है। इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। इस पर्व पर बच्चों के बीच सांता क्लाज की बहुत धूम रहती है। सांता क्लाज बच्चों के लिए मनचाहे तोहफे लेकर आते हैं और बच्चों को खुशियों से भर देते हैं। बच्चे खुद भी इस पर्व पर सुंदर रंगीन वस्त्र पहनते हैं और हाथ में चमकीली छड़ियां लिए हुए सामूहिक नृत्य करते हैं। बच्चों के अलावा बड़ों में भी इस पर्व को लेकर उत्साह रहता है। ईसाइयों के अलावा अन्य लोग भी इस दौरान अपने घर में क्रिसमस ट्री लगाते हैं। इसे अच्छे अच्छे उपहारों से सजाया जाता है और इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। आजकल बाजार में बने बनाए क्रिसमस ट्री भी मिलते हैं।
 
 क्या है क्रिसमस मनाए जाने के पीछे की पौराणिक कथा 
 
एक बार ईश्वर ने ग्रैबियल नामक अपना एक दूत मैरी नामक युवती के पास भेजा। ईश्वर के दूत ग्रैबियल ने मैरी को जाकर कहा कि उसे ईश्वर के पुत्र को जन्म देना है। यह बात सुनकर मैरी चौंक गई क्योंकि अभी तो वह कुंवारी थी, सो उसने ग्रैबियल से पूछा कि यह किस प्रकार संभव होगा? तो ग्रैबियल ने कहा कि ईश्वर के पवित्र आत्मा की और से सब संभव होगा  ईश्वर सभी ठीक करेंगे। समय बीता और मैरी की शादी जोसेफ नाम के युवक के साथ तय हो गई। उधर मैरी पवित्र आत्मा तथा ईश्वर की और से गर्भवती पाई गई, जब जोसेफ को यह पता चला तो उसने मैरी को चुपके से छोडने का फैसला किया वह यह सब सोच ही रहा था जब भगवान के दूत ग्रैबियल जोसेफ के सपने में आए और उससे कहा कि तुम अपनी पतनी को छोडने का विचार मत करो कयोंकि जो उसके गर्भ में है वह भगवान की और से क्योंकि उसकी होने वाली संतान कोई और नहीं ईश्वर के पुत्र स्वयं प्रभु यीशु हैं। उस समय जोसेफ और मैरी नाजरथ जोकि वर्तमान में इजराइल का एक भाग है, में रहा करते थे। उस समय नाजरथ रोमन साम्राज्य का एक हिस्सा हुआ करता था। एक बार किसी कारण से जोसेफ और मैरी बैथलेहम, जोकि इस समय फिलस्तीन में है, में किसी काम से गए, उन दिनों वहां बहुत से लोग आए हुए थे जिस कारण सभी धर्मशालाएं और शरणालय भरे हुए थे जिससे जोसेफ और मैरी को अपने लिए शरण नहीं मिल पाई। काफी थक−हारने के बाद उन दोनों को एक गऊशाला में जगह मिली और उसी स्थान पर आधी रात के बाद प्रभु यीशु का जन्म हुआ। गऊशाला के निकट कुछ गडरिए अपनी भेड़ें चरा रहे थे, वहां ईश्वर के दूत प्रकट हुए और उन गडरियों को प्रभु यीशु के जन्म लेने की जानकारी दी। गडरिए उस नवजात शिशु के पास गए और उसे नमन किया।
 
यीशु जब बड़े हुए तो उन्होंने विश्व भर में घूम−घूम कर शांति, अहिंसा, भाईचारे, तथा सदभावना के उपदेश दिए और गरीबों जरूरतमंदों की मदद की, लोगों की हर बीमारी और दुर्बलताओं को दूर किया मुर्दो को जिंदा किया। और धार्मिक कुरितियों का विरोध किया तथा धर्म के ठेकेदारों द्वारा फैलाए भ्रमजाल से लोगों को जागरूक किया जिसके चलते उनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैलती गई। यीशु के सदभावनापूर्ण कार्य तथा यूँ सरेआम धार्मिक कुरितियों के खिलाफ लोगों की जागरूकता धर्म के ठेकेदारो को रास नहीं आई और उन्होंने षडयंत्र कर यीशु को फसाया और उस समय के कानून के अनुसार काफी यातनाएं दीं और उन्हें क्रूस पर लटकाकर मार डाला लेकिन ईश्वर की योजना के अनुसार वह तीसरे दिन जी उठे तथा कई लोगों को दिखाई देने के बाद ईश्वर की ही योजना के अनुसार  स्वर्ग  में वापस बुला लिए गए। ईसाई मत के मानने वालों का मानना है कि यीशु ने जाते समय कहा है कि जिस तरह वह स्वर्ग  गए हैं इसी तरह फिर बादलों पर वापस आएंगे और इस बार सेवा नहीं बल्कि न्याय करने आएंगे जो धर्मीं होंगे उन्हें वह अपने साथ हमेशा के लिए स्वर्ग ले जाएंगे जबकि दुष्टों को हमेशा के लिए नर्क की आग में झोंक दिया जाएगा,

लेकिन इतिहास कहता है यीशु जीवन भर  मानव कल्याण की दिशा में जुटे रहे, यही नहीं जब उन्हें क्रूस पर लटकाया जा रहा था, तब भी वह ईश्वर से यही बोले कि 'हे पिता इन लोगों को क्षमा कर दीजिए क्योंकि यह अज्ञानी हैं यह लोग नही जानते हैं कि यह  क्या  कर रहे हैं।
 उस समय तारीख दिन महीने नहीं होते थे कयोंकि ईसा के बाद ही तारीख महीनों का चलन हुआ था उससे पहले का समय ईसा पूर्व गिना जाता है लेकिन यीशु के जन्म के समय के बारे में पता चलता है कि सर्दियों का समय था इसलिए शोध के अनुसार ईसाई लोग 25 दिसम्बर  यीशु के जन्मदिवस को क्रिसमस के रूप में मनाते हैं।
सैंटा क्लॉज का इतिहास

संत निकोलस का जन्म 340 ईस्वी में 6 दिसंबर को हुआ था वह काफी अमीर व्यक्ति थे । हर 25 दिसंबर की रात को संत निकोलस बच्चों के लिए उपहार लेकर के आते थे। । कहा जाता है कि बचपन में ही इनके माता पिता का देहांत हो गया था। बड़े होने के बाद वह एक पादरी बन गए औऱ उन्हें लोगों की मदद करना काफी पसंद था वह हर समय जरूरतमंदो को मदद करते थे ।  कहा जाता है कि वे पहले पता लगाते थे कि गरीब बच्चों को किस किस चीज की जरूरत है, तथा क्रिसमस की रात वह सब बच्चों तथा जरूरतमंदो को उनकी जरूरत का समान सेंटा के रूप में गिफ्ट देते थे , रात्रि में वह चुपके से इस लिए देते थे ताकि उन्हें कोई देख न पाए यहीं संत निकोलस बच्चों के लिए सांता क्लॉज बन गए, 
 
क्रिसमस ट्री 
कहते हैं उत्तरी यूरोप में कई हजार साल पहले क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत हुई थी। हालांकि उस समय फेयर नाम के एक पेड़ को सजाकर विंटर फेस्टिवल मनाया जाता था। धीरे-धीरे क्रिसमस ट्री का चलन हर जगह बढ़ता चला गया और हर कोई इस मौके पर पेड़ घर पर लाने लगा।धीरे धीरे जीसस के जन्म की खुशी में क्रिसमस ट्री सजाया जाने लगा। इसी मान्यता के अनुसार क्रिसमस के मौके पर लोग क्रिसमस ट्री को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाते हैं।

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