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गजब : वाहन दून से कभी बाहर नही गया और दिल्ली में कट गया ई-चालान

गजब : वाहन दून से कभी बाहर नही गया और दिल्ली में कट गया ई-चालान
देहरादून :वाहन देहरादून से बाहर नहीं गया और चालान दिल्ली और नोएडा में हो गए। देहरादून के एक ऑटो और एक स्कूटर स्वामी को ऐसे ही ई-चालान मिले हैं। ऑटो का एक हजार रुपये का चालान दिल्ली में हुआ है। जबकि स्कूटर का दो हजार रुपये का चालान नोएडा में हुआ है। ऑटो मालिक के पास एसएमएस से चालान कटने की सूचना आई। स्कूटर की मालिक के पास ई-मेल के जरिए चालान पहुंचा है। चालान मिलने के बाद दोनों वाहन  मालिक परेशान हैं, उनको यही चिंता सता रही कि जब वह शहर से बाहर नहीं गए तो चालान कैसे हो गया। 

केस 01
एक एक्टीवा स्कूटर भंडारीबाग निवासी रोशनी देवी के नाम देहरादून आरटीओ दफ्तर में रजिस्टर्ड है। 22 मई 2020 को इसी नंबर की कार का चालान नोएडा में हो गया। ओवर स्पीड में हुए दो हजार रुपये का ई-चालान ई-मेल के माध्यम से रोशनी देवी के पास पहुंचा है। चालान में पूरी डिटेल रोशनी देवी की हैं, लेकिन फोटो कार का है। चालान मिलने के बाद से रोशनी देवी परेशान हैं। उनका कहना है कि जब वह नोएडा गई ही नहीं तो चालान कैसे हो गया। 


केस 02 
सतीश कुमार के नाम से एक ऑटो देहरादून में रजिस्टर्ड है। ऑटो शहर के 25 किमी की परिधि से बाहर नहीं जा सकता, लेकिन कुछ दिन पहले सतीश कुमार के मोबाइल पर एसएमएस आया। बताया गया कि इस नंबर के वाहन का दिल्ली में एक हजार रुपये का चालान हुआ है। चालान का एसएमएस आने के बाद से सतीश कुमार परेशान हैं।   

चालान नहीं भुगता हो ये होगी दिक्कत 
आरटीओ (प्रवर्तन) संदीप सैनी ने बताया कि ऑटो और स्कूटर मालिक को ऑनलाइन या संबंधित क्षेत्र के आरटीओ दफ्तर में जाकर चालान का मामला निपटाना होगा। जब तक चालान का निस्तारण नहीं होता है, तब कई तरह की दिक्कतें आएगी। ऑटो वाहन कॉमर्शियल है। ऑटो की फिटनेस नहीं हो पाएगी। टैक्स भी जमा नहीं हो पाएगा। ऑटो बिक भी नहीं सकता है। इसके साथ ही स्कूटर मालिक भी तब तक अपनी स्कूटी को किसी दूसरे को बेच नहीं सकते हैं। डुप्लीकेट आरसी भी नहीं बन पाएगी। 

ये हो सकते हैं कारण 
दून की गाड़ियों का दूसरे शहरों में चालान कटने का कारण, हालांकि अभी पता नहीं चल पाया है, लेकिन माना जा रहा है कि लोग चोरी की गाड़ियों पर फर्जी नंबर प्लेट लगा देते हैं। नियम तोड़ने पर जब ऐसे वाहनों के ई-चालान होते हैं तो चालान उस वाहन स्वामी के पास पहुंचता है, जिसके नाम पर संबंधित नंबर का वाहन रजिस्टर्ड होता है। आरटीओ संदीप सैनी का कहना है कि इसमें तकनीकी दिक्कत भी हो सकती है। जांच के बाद ही इसका पता चल सकता है
उधर मामले पर हरादून महानगर सिटी महासंघ अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने उत्तराखंड परिवहन विभाग से समस्या का समाधान करने की मांग की है। कहा कि दोनों वाहन स्वामियों की कोई गलती नहीं है, फिर भी उनके वाहनों के दूसरे शहरों में चालान हुए हैं। चालान मिलने के बाद वह परेशान हैं। कहा कि परिवहन विभाग अपने स्तर पर ही समस्या का हल करे।

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